सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला हरियाणा सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2022 के अपने उस फैसले को वापस ले लिया है, जिसमें गांव की सार्वजनिक भूमि ग्राम पंचायतों को लौटाने का आदेश दिया गया था।
दरअसल, 7 अप्रैल 2022 को शीर्ष अदालत ने कहा था कि पंजाब के एक कानून के तहत मालिकों से उनकी अनुमेय सीमा से अधिक ली गई जमीन पर केवल प्रबंधन और नियंत्रण पंचायत के पास होगा, न कि स्वामित्व। इस प्रबंधन में भूमि का पट्टा देना और अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य गैर-मालिकों द्वारा उसका उपयोग शामिल था, ताकि ग्राम समुदाय को लाभ मिल सके।
अब, अपने ही आदेश की समीक्षा याचिका को स्वीकार करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी. विश्वनाथन की पीठ ने 2022 का फैसला रद्द कर दिया। साथ ही पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की 2003 की पूर्ण पीठ के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि चकबंदी के दौरान साझा उद्देश्यों के लिए चिन्हित न की गई भूमि का स्वामित्व पंचायत या राज्य के पास नहीं, बल्कि मूल मालिकों के पास रहेगा।
मुख्य न्यायाधीश ने मंगलवार को हरियाणा सरकार की अपील खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में कोई गलती नहीं है, क्योंकि यह कानून के उस सिद्धांत पर आधारित है जिसे सौ से अधिक मामलों में लागू किया जा चुका है। उन्होंने साफ कहा—“राज्य की अपील में कोई दम नहीं, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।”
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Author: haryanadhakadnews
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