Home » राष्ट्रीय » कई जातियां ओबीसी की सूची से बाहर हो सकती हैं

कई जातियां ओबीसी की सूची से बाहर हो सकती हैं

ओबीसी की जनगण्ना
Picture of haryanadhakadnews

haryanadhakadnews

हरियाणा धाकड़ न्यूज: आजादी के बाद जनगणना के साथ पहली बार होने वाली जातिवार गणना के आंकड़े आने के बाद कई जातियों को ओबीसी की सूची से बाहर होना पड़ सकता है। इसी तरह से आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़ी कई जातियों को ओबीसी सूची में एंट्री भी मिल सकती है। सरकार की कोशिश जाति और जनगणना को आधार बनाकर ओबीसी के नाम पर हो रहे जाति की राजनीति को पूरी तरह से ध्वस्त करने की है माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर संघचालक मोहन भागवत के साथ चर्चा के बाद इसे हरी झंडी दे दी गई है। बताया जाता है कि इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।

agead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1085678137836635" crossorigin="anonymous">

संघ जातिवार गणना के खिलाफ नहीं है इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहए

सूत्रों के अनुसार लंबे समय से जातियों की गोलबंदी का हथियार जातिवार करना को हमेशा के लिए खत्म करने की खातिर पूरी तरह से सोच विचार के बाद फैसला लिया गया है। ध्यान देने की बात है कि पलक्कड़ में हुई। आरएसएस की समन्वय समिति की बैठक में साफ किया गया है कि संघ जातिवार गणना के खिलाफ नहीं है सिर्फ इसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए इसलिए इस जनगणना के साथ जोड़ा गया है ताकि देश में सभी धर्म में मौजूद सभी जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक स्थिति में ठोस आंकड़े उपलब्ध हो सके।

भविष्य में हर 10 साल पर होने वाले जनगणना के साथ जातिवार गणना भी की जाएगी

कैबिनेट की बैठक में न सिर्फ आगामी जनगणना के साथ-साथ जातिवाद गणना कराने का फैसला लिया गया है। बल्कि आने वाले समय में इसे स्थाई स्वरूप देने पर भी विचार किया गया है। यानी भविष्य में हर 10 साल पर होने वाले जनगणना के साथ-साथ जातिवार गणना भी की जाएगी। हर 10 साल में देश की सभी जातियों के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक आंकड़े आने की स्थिति में उन जातियों की पहचान आसानी से की जा सकेगी। जिनकी स्थिति अन्य जातियों से बेहतर होगी ।

ओबीसी आरक्षण
ओबीसी आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटकाया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना विकल्प होगा

जाहिर है ओबीसी की सूची में नई जातियों को शामिल करने और पहले से शामिल जातियों को बाहर निकलने का ठोस आधार बन सकता है। वैसे यह देखना होगा कि भविष्य में उस वक्त के राजनीतिक हालात को देखते हुए तत्कालीन सरकार किस तरह से इस पर फैसला करती है । वहीं ठोस आंकड़े होने की स्थिति में ओबीसी सूची को दुरुस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना का विकल्प होगा। इस समय ठोस आंकड़े नहीं होने के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।

ओबीसी की जनगण्ना
ओबीसी की जाति

सिर्फ एक बार 1931 में हुई थी जातिवार गणना

इस समय देश में सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों का एकमात्र आंकड़ा 1931 की जनगणना का है। और उसी के आधार पर देश में पिछड़ी जातियों की 52% आबादी निर्धारित कर उनके लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। लेकिन अंग्रेजों ने 1941 में हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बीच खर्च का हवाला देकर 1941 में जातिवार गणना नहीं कराई और आजादी के बाद 1951 में विभिन्न सरकारों ने इसे ठंडे वेस्ट में डाल दिया।

‘For More Latest News: https://haryanadhakadnews.com

https://haryanadhakadnews.com/wp-admin/post.php?post=7987&action=edit

https://haryanadhakadnews.com/wp-admin/post.php?post=7134&action=edit

Whatsap chanel link: https://whatsapp.com/channel/0029Vb5yUhVJUM2bfKGvpB12

haryanadhakadnews
Author: haryanadhakadnews

MY LOGIN

Leave a Comment

Poll

क्या आप \"Haryana Dhakad News.\" की खबरों से संतुष्ट हैं?

Cricket Live

Rashifal

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स