धाकड़ न्यूज : रविवार 6 अप्रैल को चैत्र मास में नवंमी है। इसे रामनवमी कहा जाता है। आइए जानते हैं रामनवमी की विशेष पूजा विधि और मुहूर्त के बारे में। रविवार को रामनवमी है मंदिराें के पूजारियों के अनुसार इस दिन पूजा का मुहूर्त करीब ढाई घंटे का बताया जा रहा है। कहा जाता है कि राम जन्म मध्य काल में हुआ था। अत: पूजा के लिए समय सुबह 11:00 बजे का माना जा रहा है। इसलिए पूजा 11 बजे सुबह से शुरू हो जाएगी।
सुबह उठकर घर की साफ सफाई करें। घर में गंगाजल का छिड़कांव करें। चंदन का तलक लगाए। पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें। जरूरतमंदों लोगों को दान करें। घर में झंडा और बंदनवार लगाकर सजावट करें। राम दरबार की मूर्ति लेकर आएं उसे गंगाजल और पंचामृत से स्नान करवाएं। चंदन और रोली का तिलक करें मोली को बांधे चावल और फूल में धूप दीप पूजन सामग्री चढ़ाएं।शुभ मुहूर्त देखकर पूजा शुरू करें मंत्र जाप उच्चारण करें। तुलसी के पत्तों की माला बनाए और उसी का इस्तेमाल करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। जाप करते समय देसी घी का दीपक प्रज्ज्वलित किया जाए। मंत्र उच्चारण के साथ भगवान को खीर का भोग लगाएं।
पूजा करते समय मौसम के अनुसार फल और मिठाई का चढ़ावा चढ़ाएं। पूजा के बाद आरती कर फल फूल और मिठाई प्रसाद के रूप में बांटे। श्री रामचरितमानस की चौपाई का पाठ करें। तुलसी बेलपत्र भृंगराज गेंदा गुलाब कमल आदि का चढ़ावा चढ़ाएं।वाल्मीकि रामायण के अनुसार दशरथ जब बूढ़े हुए तो संतान न होने चिंता करने लगे। उनकी चिंता देखकर ऋषि मुनियों ने उन्हें यज्ञ करने की सलाह दी। कथा के अनुसार राजा दशरथ ने यज्ञ आरंभ कर दिया। यज्ञ पूर्ण हाेने पर कहा जाता है कि अग्नि देव प्रकट हुए उन्होंने एक खीर से भरा हुआ सोने का कटोरा दशरथ को आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया। उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि रानियां को यह खीर खिलवा दें। दशरथ ने अग्नि देव की आज्ञा मानी और ऐसा ही किया। जिसके फल स्वरुप एक साल बाद चैत्र के महीने में कौशल्या ने श्री राम को कैकई ने भरत और सुमित्रा ने जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया।

Author: haryanadhakadnews
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