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Lord Jagannath Rath Yatra 2025 : पुरी में ड्रोन और एनएसजी भी तैनात

Lord Jagannath Rath Yatra 2025
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धाकड़ न्यूज: Lord Jagannath Rath Yatra 2025 : उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून यानि आज से शुरू हो रही है। पुरी की यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि प्रेम भाव, समर्पण और त्याग का जीता जागता उदाहरण है। इसे देखने के लिए हर वर्ष यहां पर लाखों लोग पहुंचते हैं। इस पवित्र रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ बड़े रथ पर सवार होकर अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ पुरी के मुख्य मंदिर से गुंडिचा के मंदिर तक जाते हैं।  इस धार्मिक यात्रा का आयोजन 12 दिनों का होता है। प्रत्येक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। गुंडिचा जाने के बाद भगवान अपने धाम पहुंचते हैं। यात्रा से पहले सोने की झाडू से सफाई की जाती है।

लगभग 30 लाख श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का अनुमान

रथ यात्रा शुक्रवार के दिन 27 जून को सुबह 6 बजे आरती से शुरू की गई। इसके बाद भगवान जगन्नाथ को रथ में बिठाने की विभिन विधियां की गई। पूरे विधि विधान के साथ रथ यात्रा का आयोजन किया जाना है। पुरी शाम 4 बजे यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा गाजे बाजे के साथ की जाएगी। पुरी का पूरा महौल भक्तिमय हो गया है।रथ यात्रा में शामिल होने वाले भक्तगण का कहना है कि इस बार यात्रा में आकर हमें बहुत अच्छा लग रहा है। यहां विदेशी मेहमान भी हजारों की संख्या में पहुंच रहे हैं। लगभग 30 लाख श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का अनुमान जताया जा रहा है।

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उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा।

सुरक्षा के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जा रहा

इस यात्रा को लेकर पुलिस की तैयारियां जोरों पर है। पुलिस का कहना है कि इस बार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। पिछली बार से भी ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इसे देखते हुए लगभग 10 हजार पुलिस कर्मचारियों को ड्यूटी पर तैनात किया गया है। मुख्यरूप से इसमें पब्लिक सैफ्टी को लेकर और ट्रेफिक के इंतजाम किए गए हैं। इस बार इसमें कई केंद्रीय एजंसियां भी पुलिस की मदद करेंगी कि कहीं व्यवस्था बनाने में समस्या न आए। इस बार एंटी ड्रोन सिस्टम का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। पांच तरह की सिक्योरिटी का इंतजाम किया गया है। यहां कई वीवीआईपी आने की भी उम्मीद है। इसे देखते हुए एनएसजी के कमांडों की भी ड्यूटी लगाई गई है।

यात्रा का महत्व

इसकी शुरुआत आषाढ़ शुक्ल द्वितिया को वार्षिक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस यात्रा की दूरी 3 किलोमीटर की होती है।गुंडिचा को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहा जाता है। इस यात्रा में तीन रथ शामिल होते हैं। एक रथ जिसका नाम नंदी घोष है वह भगवान जगन्नाथ का रथ है। दूसरा रथ जिसका नाम ताल घ्वज है वह भगवान बलभद्र का कहा जाता है और तीसरा रथ जिसका नाम दर्पदलन है वह देवी सुभद्रा का रथ कहा जाता है। कहा जाता है कि यह त्योहार 12वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है। स्कन्द पुराण और ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार यह त्योहार अति प्राचीन है, क्योंकि पुराणों में इसका वर्णन है। इसे रथों का त्योहार भी कहा जाता है। ये रथ लकड़ी के बने होते हैं। रथ बनाने वाले शिल्पकार इनकों बनाते समय यहां की परंपरागत कला का प्रदर्शन करते हैं।

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