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Al Falah Terror Funding: अमोनियम नाइट्रेट और हथियारों के लिए जुटाए गए 26 लाख रुपये कहां से आए? डॉक्टरों की भूमिका और जिम्मेदारियां क्या थीं?

Al Falah Terror Funding
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Al Falah Terror Funding: अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े टेरर नेटवर्क का बड़ा खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों ने पता लगाया है कि धमाका करने की साजिश में शामिल डॉक्टर्स ने 26 लाख रुपये की राशि खुद ही इकट्ठी की थी। सेल्फ–फंडिंग के तहत डॉक्टर मुजम्मिल ने 5 लाख, डॉक्टर आदिल अहमद राथर ने 8 लाख, डॉक्टर मुफ्फर अहमद राथर ने 6 लाख, डॉक्टर उमर ने 2 लाख और डॉक्टर शाहीना शाहिद ने 5 लाख रुपये दिए। कुल 26 लाख रुपये कैश में जुटाकर यह पूरा पैसा डॉक्टर उमर को सौंपा गया था।

कौन डॉक्टर किस काम के लिए था जिम्मेदार?

जांच में सामने आया कि जुटाए गए फंड से अमोनियम नाइट्रेट और यूरिया खरीदने की जिम्मेदारी डॉक्टर मुजम्मिल के पास थी। उसने करीब 3 लाख रुपये में NPK खाद खरीदी।
इस खाद को विस्फोटक में बदलने और ब्लास्ट के लिए जरूरी केमिकल, रिमोट और अन्य डिवाइस जुटाने का काम डॉक्टर उमर मोहम्मद को सौंपा गया था।

विस्फोटक इकट्ठा करने में लगे दो साल

जांच एजेंसियों को दिए बयान में मुजम्मिल ने माना कि 2023 में दिल्ली सहित कई शहरों में धमाकों की साजिश रची गई थी। वह और उमर पिछले दो वर्षों से विस्फोटक सामग्री, रिमोट और अन्य उपकरणों को धीरे–धीरे इकट्ठा कर रहे थे।

क्या हमास की तर्ज पर काम कर रहे थे आतंकी?

सूत्रों के अनुसार, मुजम्मिल और उमर ने कश्मीर में कई अस्पतालों और गेस्ट हाउस की रेकी की थी। उनकी फोन रिकवरी में हमास की ट्रेनिंग और टनल सिस्टम से जुड़े कई वीडियो मिले हैं। अब जांच एजेंसियां यह पता लगा रही हैं कि क्या वे हमास जैसे मॉडल पर स्थानीय अस्पतालों और गेस्ट हाउस का इस्तेमाल कर हथियार छिपाने की योजना बना रहे थे।

अल फलाह के छात्रों को कैसे किया जा रहा था ब्रेनवॉश?

जैश–ए–मोहम्मद की ओर से मुजम्मिल और उमर को निर्देश दिए गए थे कि वे कश्मीर के स्थानीय छात्रों को रेडिकलाइज़ करें।
सूत्र बताते हैं कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में कश्मीरी छात्रों के लिए अलग से एक टेलीग्राम ग्रुप बनाया गया था, जिसमें केवल कश्मीर से जुड़े छात्र शामिल थे।
जांच एजेंसियां अब यूनिवर्सिटी की लैब, अस्पताल क्षेत्र, कश्मीरी छात्रों के रिकॉर्ड और कैंपस सिक्योरिटी से जुड़े सभी डिटेल्स खंगाल रही हैं।

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