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HCS भर्ती धांधली मामला: 2002 के केस में 8 मई को होगी अंतिम सुनवाई, 23 साल से हाईकोर्ट में चल रही याचिका

HCS भर्ती धांधली मामला
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धाकड़ न्यूज, हरियाणा: हरियाणा सिविल सर्विस (HCS) की 2002 में हुई भर्ती में धांधली के आरोपों को लेकर दायर की गई। याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 8 मई 2025 को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है।यह मामला करीब 23 साल से उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। अब इस मामले का निष्कर्ष निकाला जाएगा। यह याचिका कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल की ओर से 2002 में दायर की गई थी, जब ओमप्रकाश चौटाला की सरकार ने 65 एचसीएस अधिकारियों की नियुक्तियां की थीं। दलाल ने इस भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।। उनका आरोप था तत्कालीन सरकार ने नियमों की अनदेखी करते हुए अपने चहेतों को नियुक्ति दी थी। जिनके पास परीक्षा में कम अंक थे, जबकि इंटरव्यू में उन्हें अधिक अंक मिलाकर नियुक्त किया गया।

हाईकोर्ट में इस मुद्दे को लेकर लंबी सुनवाई चली है। वर्ष 2009 में अदालत ने इस मामले से संबंधित सभी उत्तर पुस्तिकाओं की मूल प्रति मंगवाई थी। बाद में, 2013 में विजिलेंस विभाग ने इस मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए इन उत्तर पुस्तिकाओं की फोटो कॉपी मांगी थी। फिर, पिछले साल, विजिलेंस ने 35 एचसीएस अफसरों की 54 उत्तर पुस्तिकाओं की ओरिजिनल प्रति की मांग की।विजिलेंस ने कोर्ट में यह भी कहा था कि बिना इन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के इस मामले की सही तरीके से जांच नहीं हो सकती।

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2002 में हुई भर्ती में धांधली के आरोपों को लेकर कई सवाल उठाए

यह मामला तब से लेकर अब तक कई बार कोर्ट में आ चुका है और विभिन्न खंडपीठों में इसकी सुनवाई हुई है। पहले हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था, लेकिन उसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट चले गए और यह केस फिर से सुनवाई पर आ गया। तब से यह मामला विभिन्न पीठों में सुनवाई के लिए गया और अब हाईकोर्ट ने 8 मई को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है। 2002 में हुई भर्ती में धांधली के आरोपों को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि इन नियुक्तियों में न केवल नियमों का उल्लंघन हुआ, बल्कि परीक्षा के परिणामों में भी गड़बड़ी की गई। इसके अलावा, जिन उम्मीदवारों ने परीक्षा में कम अंक प्राप्त किए थे, उन्हें इंटरव्यू में अधिक अंक देकर नौकरी दी गई। यह मामला हरियाणा के नागरिकों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। इस भर्ती में अनियमितता के आरोप सरकारी सेवा में समानता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।

लोग फैसले का बेसब्री से कर रहे इंतजार  

इस मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई 8 मई को होगी, और अब देखने की बात होगी कि उच्च न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेता है। अगर कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को अवैध घोषित कर दिया, तो इससे न केवल उन अधिकारियों की नियुक्तियां प्रभावित हो सकती हैं, बल्कि प्रदेश की सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और नियमों के पालन की प्रक्रिया पर भी असर पड़ेगा। हरियाणा के नागरिक इस मामले के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि यह ना केवल सरकारी सेवा में नियुक्तियों की निष्पक्षता को लेकर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी तय करेगा कि राज्य में भविष्य में इस तरह के मामलों में किस प्रकार की कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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