IPS Suicide Case : पूरन कुमार आत्महत्या मामले में बड़ा कदम उठाते हुए चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। यह एफआईआर पूरन कुमार के 8 पन्नों के सुसाइड नोट के आधार पर की गई है। इसमें पहली बार हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व डीजीपी पी.के. अग्रवाल, पूर्व मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा, एडीजीपी संदीप खिरवार, एडीजीपी अमिताभ विल्लो, एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) संजय कुमार, एडीजीपी माटा रवि किरन, पंचकूला पुलिस आयुक्त सिवास कविराज, अम्बाला रेंज के आईजी पंकज नैन, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया और आईपीएस कला रामचंद्रन समेत कुल 13 अधिकारियों को नामजद किया गया है। इसके अलावा सुसाइड नोट में मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी और आईपीएस कुलविंद्र सिंह के नाम का भी उल्लेख है।
पुलिस ने आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 और 3(5) के साथ-साथ एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1)(R) व पीओए एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। इस संबंध में रात करीब 10:45 बजे केवल दो लाइन का प्रेस नोट जारी किया गया। बताया जा रहा है कि मामला प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंच गया था। इसी बीच, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर सात दिनों के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है।
इस केस ने हरियाणा पुलिस और राज्य सरकार दोनों पर भारी दबाव बना दिया है। पूरन कुमार की आत्महत्या को तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक पोस्टमार्टम नहीं हो पाया है। परिजनों ने न्याय मिलने तक अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया है। कानूनी रूप से पुलिस परिवार की सहमति के बिना भी पोस्टमार्टम करवा सकती है, मगर फिलहाल ऐसा नहीं किया गया है।
पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे पुलिस विभाग और प्रशासन को झकझोर दिया है। गुरुवार को पूरे दिन यह चर्चाएं चलती रहीं कि सरकार स्थिति को शांत करने के लिए डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एडीजीपी नरेंद्र बिजारनिया को अवकाश पर भेज सकती है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार ऑफिसिएटिंग डीजीपी नियुक्त करने पर भी विचार कर रही है, हालांकि देर रात तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ था।
इस घटना ने राष्ट्रीय स्तर पर भी गहरी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जातिगत भेदभाव के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब एक आईपीएस अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अन्याय झेलना पड़ता है, तो एक सामान्य दलित नागरिक के साथ क्या होता होगा, इसकी कल्पना करना भी दर्दनाक है।
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Author: haryanadhakadnews
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