ट्रंप के 100% टैक्स से प्रभावित भारतीय दवाएं : ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय दवाओं पर 100 प्रतिशत टैक्स की घोषणा के बाद पानीपत समेत आसपास की 20 से अधिक फार्मास्युटिकल कंपनियों ने अमेरिकी व्यापार समझौते से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। कंपनियों ने 30 सितंबर तक डिस्पैच होने वाले दवाओं के ऑर्डर फिलहाल रोक दिए हैं। इसमें पेनकिलर, शुगर, बीपी, एंटीबायोटिक और अन्य 75 से अधिक जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ फार्मा इंटरप्योर के वाइस प्रेसिडेंट अजय भाटिया का कहना है कि दर्द, बीपी और शुगर जैसी सस्ती दवाओं की अमेरिकी बाजार में उपलब्धता कम हो सकती है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे देशों में दवाओं के दाम अधिक हैं और वहां जेनेरिक दवाओं का उत्पादन नहीं होता।
अमेरिका में भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों के निर्यात पर नए टैक्स के प्रभाव से कंपनियों को नुकसान का जोखिम है। इसके मद्देनजर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर पांवटा साहिब में जल्द ही फार्मा कंपनियों के मैनेजिंग डायरेक्टर्स की बैठक होने वाली है। अमेरिका के बाजार में भारतीय दवाओं का 30 प्रतिशत हिस्सा है, खासकर वैक्सीन और जेनेरिक दवाओं में।
पानीपत की तीन बड़ी कंपनियां – लीबोरेट, इंटेक और एक अन्य कंपनी – अमेरिका में दवाओं का निर्यात करती हैं। अमेरिका की एफडीए भारत में तैयार होने वाली ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की टेस्टिंग के बाद निर्यात की अनुमति देती है। कंपनियों को अब अमेरिकी खरीदारों की ओर से अतिरिक्त लागत उठानी पड़ सकती है, जिससे आने वाले ऑर्डर और शिपमेंट प्रभावित हो सकते हैं।
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Author: haryanadhakadnews
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