Shubman Gill Century: भारतीय क्रिकेट टीम के नए कप्तान शुभमन गिल ने अपनी शानदार फॉर्म जारी रखते हुए कप्तानी के शुरुआती दो मैचों में ही लगातार दूसरा शतक जड़ दिया है। बर्मिंघम टेस्ट में उनकी शतकीय पारी के बावजूद टीम इंडिया की स्थिति नाजुक बनी हुई है। इस बीच, शतक पूरा करने के बाद गिल के आक्रामक तेवर चर्चा का विषय बन गए हैं, जो सवाल खड़े करता है कि क्या अब उन्हें एक बल्लेबाज से ऊपर उठकर एक कप्तान की तरह सोचने की जरूरत है?

कप्तान के तौर पर गिल का लगातार दूसरा शतक
शुभमन गिल ने टेस्ट कप्तान के रूप में एक बेहतरीन व्यक्तिगत शुरुआत की है। उन्होंने अपने कप्तानी डेब्यू मैच की पहली पारी में ही 147 रनों की यादगार पारी खेली थी। इसके बाद अब बर्मिंघम में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भी उन्होंने शतक लगाकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं।
- पहला टेस्ट: 147 रन (227 गेंदें, 19 चौके, 1 छक्का)
- दूसरा टेस्ट (पहली पारी): 114* रन (216 गेंदें, 12 चौके)
यह उपलब्धि उन्हें उन चुनिंदा कप्तानों की सूची में शामिल करती है जिन्होंने कप्तानी की शुरुआत में ही ऐसे कीर्तिमान रचे हैं।
शतक के बाद दिखा गुस्सा, पर किसे दिखा रहे थे तेवर?
बर्मिंघम में शतक पूरा करने के बाद शुभमन गिल का रवैया उनके शांत स्वभाव के बिल्कुल विपरीत था। उन्होंने काफी आक्रामक अंदाज में जश्न मनाया, जिसे लेकर क्रिकेट जगत में खूब चर्चा हो रही है। आमतौर पर शांत रहने वाले गिल का यह रूप समझना मुश्किल है। सवाल यह है कि यह गुस्सा किसके लिए था? क्या यह आलोचकों को जवाब था या सिर्फ शतक का जुनून?
“बल्लेबाज गिल” से “कप्तान गिल” बनने की चुनौती
विश्लेषकों का मानना है कि गिल को यह समझना होगा कि अब उनकी भूमिका सिर्फ रन बनाने तक सीमित नहीं है। एक कप्तान के तौर पर शतक लगाना महत्वपूर्ण है, लेकिन टीम को जीत की राह पर ले जाना उससे भी बड़ी जिम्मेदारी है। मैदान पर सही फील्ड सेटिंग, गेंदबाजी में सटीक बदलाव और मुश्किल समय में टीम का नेतृत्व करना, ये सभी एक कप्तान के काम का हिस्सा हैं। गिल ने जो आक्रामकता दिखाई, वह एक बल्लेबाज की व्यक्तिगत उपलब्धि का जश्न ज्यादा लग रहा था, न कि एक कप्तान का संतोष।
मैच का हाल: शतक के बावजूद बैकफुट पर टीम इंडिया
शुभमन गिल के शतक के बावजूद बर्मिंघम टेस्ट में भारतीय टीम मजबूत स्थिति में नहीं है। पहले दिन का खेल खत्म होने तक टीम ने महत्वपूर्ण विकेट खो दिए और मैच पर पकड़ बनाने में असफल रही। यह स्थिति इस बात को उजागर करती है कि व्यक्तिगत प्रदर्शन टीम की जीत की गारंटी नहीं दे सकता। अब गिल के सामने चुनौती सिर्फ अपने बल्ले से रन बनाने की नहीं, बल्कि अपनी कप्तानी और रणनीति से टीम इंडिया को मैच जिताने की है। असली वाहवाही टीम को जीत दिलाने से ही मिलेगी।
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Author: haryanadhakadnews
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