धाकड़ न्यूज: 11 जून 2019 को जारी अधिसूचना को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस अधिसूचना में सामाजिक आर्थिक के आधार पर तथा अनुभव के नाम पर अतिरिक्त 10 अंक दिए गए थे। जिसके कारण हाई कोर्ट ने संविधान के क्षमता व समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ माना है। जिसके कारण 10,000 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जाने का खतरा पैदा हो गया है। यह फैसला हाई कोर्ट के जज संजीव प्रकाश शर्मा व मीनाक्षी मेहता की डिवीजन बेंच ने बहुत याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया। लेकिन अभी तक कोर्ट के आदेश की कॉपी जारी नहीं हुई थी।
हाई कोर्ट ने निर्देश दिए है कि परिणाम संशोधित कर दोबारा से जारी करे
एक याचिकाकर्ता के वकील माजलिश खान ने बताया कि पंजाब हरियाणा कोर्ट ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को यह दिशा निर्देश दिए हैं कि वह उन सभी भारतीयों के परिणाम की समीक्षा करें तथा गौर करें जिसमें सामाजिक आर्थिक मानदंड के 10 अंकों को शामिल किया गया था। वहीं हाई कोर्ट के आदेश पर कर्मचारी चयन आयोग को बिना सामाजिक आर्थिक मानदंड वाले इन 10 अंकों को हटाकर दोबारा से संशोधित परिणाम जारी करें जो कर्मचारी नियुक्ति पहुंच चुके हैं तथा दोबारा परिणाम जारी होने के बाद वह मेरिट लिस्ट में नहीं आते हैं तो सरकार होने नियमों के तहत उनकी सेवा समाप्ति का नोटिस देकर उनकी सेवा समाप्त कर सकती है।इस आदेश का असर उन सभी भर्तियों पर पड़ेगा जो 2019 के बाद इस अधिसूचना के आधार पर भर्ती की गई थी।

युवती के 90 में 90 अंक आने के बाद भी नौकरी नहीं लग पाई
इस अधिसूचना के खिलाफ करनाल डिस्ट्रिक्ट की एक लड़की ने याचिका दायर की थी। जिसमें हरियाणा की बिजली वितरण कंपनी में JSE के पद पर नहीं चुना जा सका उसने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने डीएचबीवीएन के लिए JSE के 146 पदों पर जॉइनिंग के लिए विज्ञापन दिया था। इस नियुक्ति के लिए उसकी योग्यता निर्धारित की थी। इन पदों की परीक्षा 90 अंकों की होनी थी बाकी 10 अंक सामाजिक आर्थिक मानदंड के थे। करनाल की उसे युवती ने लिखित परीक्षा में कल 90 अंकों में से 90 अंक हासिल किए थे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए याची करता का नाम शॉर्ट लिस्ट किया गया था लेकिन फाइनल लिस्ट में उसका नाम नहीं आया जिसके कारण उसका चयन नहीं हो सका।
100% अंक परीक्षा में लाने वाला नौकरी भी नहीं लग पाया था
22 अप्रैल 2021 को यह अंतिम लिस्ट जारी हुई थी। याचिका करता को बहुत ही दुख हो या तथा हैरानी भी हुई उसके 100 में से 100 अंक लाने के बावजूद भी वह नौकरी नहीं लग पाया, तथा फाइनल लिस्ट में उसका नाम नहीं आया था। लेकिन इसकी तुलना में लिखित परीक्षा में लाने वाले 84 से 89 तक तथा बहुत कम अंक वालों का चयन हो गया था जिसके कारण उसे बहुत ही दुख हुआ इतनी मेहनत करने के बाद भी वह सरकारी नौकरी नहीं लग पाया जिसके कारण उसने कोर्ट में अपनी याचिका दायर की।
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Author: haryanadhakadnews
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