भाजपा ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम के चुनाव में 101 में से 50 वार्डों में जीत हासिल की। सत्तारूढ़ एलडीएफ केवल 29 और कांग्रेस की अगुवाई वाला यूडीएफ 19 सीटों पर सिमट गया, जबकि दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं। इसे राजधानी पर पिछले 45 वर्षों से कायम लेफ्ट फ्रंट के दबदबे के खात्मे की शुरुआत माना जा रहा है।
कांग्रेस को चुनौती
भाजपा की जीत कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। दरअसल, तिरुवनंतपुरम सीट से शशि थरूर कांग्रेस के सांसद हैं। हाल ही में वे पीएम मोदी की प्रशंसा और कांग्रेस की बड़ी बैठकों से गैरहाजिरी के कारण सुर्खियों में रहे हैं। कांग्रेस ने वैसे पूरे राज्य में बेहतर प्रदर्शन किया है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां यूडीएफ और एलडीएफ के बीच ही मुकाबला हुआ है लेकिन भाजपा ने शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर खतरे की घंटी जरूर बजा दी है।
इस बार राज्य भर में भाजपा 577 वार्डों पर या तो जीती है या बढ़त में है। शहरी क्षेत्रों में उसका अभूतपूर्व उछाल देखा जा रहा है। इसे भाजपा के हाशिए से मुख्यधारा में आने के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा लगातार हो रही मजबूत
केरल में 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने पहली बार सीट जीती थी और करीब 2 प्रतिशत वोट मिला था। 2024 के लोकसभा चुनाव तक एनडीए का वोट प्रतिशत बढ़कर 19 हो गया। इस तरह से पार्टी धीरे-धीरे राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
हालांकि 2021 में भाजपा ने कोई सीट नहीं जीत पाई थी लकिन वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ था और वह 12 प्रतिशत तक हो गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करीब 13 प्रतिशत वोट मिले थे और राजधानी में वह दूसरे नंबर पर रही थी।
2024 के लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो पार्टी ने पहली बार त्रिशूर सीट जीती। इस चुनाव में अकेले भाजपा का वोट शेयर करीब 13 प्रतिशत से बढ़कर 16.68 तक पहुंच गया। अब भाजपा स्थानीय निकाय चुनाव में भी धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। 2020 के निकाय चुनाव में पार्टी ने एक नगर पालिका सीट जीती थी। ऐसे में पार्टी का यह सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना जा सकता है।
शशि थरूर के गढ़ में जीत से भाजपा क्यों है इतनी खुश? Inside Story
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केरल के स्थानीय निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हैरान कर देने वाला प्रदर्शन किया है। राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में भाजपा ने निगम पर जीत हासिल की है। भगवा पार्टी के लिए यह एक अनपेक्षित सफलता है।
भाजपा ने तिरुवनंतपुरम नगर निगम के चुनाव में 101 में से 50 वार्डों में जीत हासिल की। सत्तारूढ़ एलडीएफ केवल 29 और कांग्रेस की अगुवाई वाला यूडीएफ 19 सीटों पर सिमट गया, जबकि दो सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं। इसे राजधानी पर पिछले 45 वर्षों से कायम लेफ्ट फ्रंट के दबदबे के खात्मे की शुरुआत माना जा रहा है।
कांग्रेस को चुनौती
भाजपा की जीत कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। दरअसल, तिरुवनंतपुरम सीट से शशि थरूर कांग्रेस के सांसद हैं। हाल ही में वे पीएम मोदी की प्रशंसा और कांग्रेस की बड़ी बैठकों से गैरहाजिरी के कारण सुर्खियों में रहे हैं। कांग्रेस ने वैसे पूरे राज्य में बेहतर प्रदर्शन किया है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां यूडीएफ और एलडीएफ के बीच ही मुकाबला हुआ है लेकिन भाजपा ने शहरी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर खतरे की घंटी जरूर बजा दी है।
इस बार राज्य भर में भाजपा 577 वार्डों पर या तो जीती है या बढ़त में है। शहरी क्षेत्रों में उसका अभूतपूर्व उछाल देखा जा रहा है। इसे भाजपा के हाशिए से मुख्यधारा में आने के तौर पर देखा जा रहा है।
भाजपा लगातार हो रही मजबूत
केरल में 2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने पहली बार सीट जीती थी और करीब 2 प्रतिशत वोट मिला था। 2024 के लोकसभा चुनाव तक एनडीए का वोट प्रतिशत बढ़कर 19 हो गया। इस तरह से पार्टी धीरे-धीरे राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।
हालांकि 2021 में भाजपा ने कोई सीट नहीं जीत पाई थी लकिन वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ था और वह 12 प्रतिशत तक हो गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को करीब 13 प्रतिशत वोट मिले थे और राजधानी में वह दूसरे नंबर पर रही थी।
2024 के लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो पार्टी ने पहली बार त्रिशूर सीट जीती। इस चुनाव में अकेले भाजपा का वोट शेयर करीब 13 प्रतिशत से बढ़कर 16.68 तक पहुंच गया। अब भाजपा स्थानीय निकाय चुनाव में भी धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। 2020 के निकाय चुनाव में पार्टी ने एक नगर पालिका सीट जीती थी। ऐसे में पार्टी का यह सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना जा सकता है।
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