धाकड़ न्यूज : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ एक्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति जता दी है। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा- मैं दोपहर में याचिका का उल्लेख देखूंगा और इसके बाद फैसला लूंगा। हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।
दरअसल, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य संगठनों द्वारा याचिकाएं दायर की गई हैं वे बहुत महत्वपूर्ण हैं और सुप्रीम कोर्ट को उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
वहीं, आरजेडी ने भी वक्फ एक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका को दायर करेगा। अब तक सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं।
कैसे हुआ वक्फ संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास
वक्फ संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी है लेकिन विपक्ष ने इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वक्फ संशोधन बिल 2025 अब कानून बन गया है।
इस नये कानून को कांग्रेस, एआइएमआइएम और आम आदमी पार्टी ने अलग-अलग याचिकाओं के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। देश के अलग-अलग राज्यों में कई मुस्लिम संगठन इसके विरोध में प्रदर्शन भी कर रहे हैं केंद्र सरकार के अनुसार एक कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है इसका उद्देश्य पक्षपात वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है। वक्फ संशोधन विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी है।
इस तरह पड़े थे वोट लोकसभा और राज्यसभा में
लोकसभा में 12 घंटे लंबी बहस के बाद इसे मंजूरी दी थी 288 वोट पक्ष में और 232 वोट विपक्ष में पड़े थे इसके बाद लोकसभा से पास हो गया। लोकसभा के ये बिल पास होने के राज्य सभा में चर्चा के लिए रखा गया यहां से भी यह बिल पास हो गया बल के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि विरोध में 95 वोट पड़े इस दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जेपीसी के कई सुझाव को स्वीकार किया गया है।
राज्यसभा में वक्फ दिल पर चर्चा पूरी होने के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मैं भरोसा दिलाया कि मैं मुस्लिमों के धार्मिक कार्यकलापों में किसी तरह का हस्तक्षेप कोई गैर मुस्लिम नहीं करेगा रिजिजू ने कहा आप चाहते हैं कि वक्फ बोर्ड में बस मुस्लिम ही बैठे हिंदू या किसी दूसरे धर्म के लोगों के साथ कोई विवाद होगा तो कैसे तय होगा इस तरह की बॉडी जो है वह सेक्युलर होना चाहिए इसमें चार लोग हैं तो वह निर्णय कैसे बदल सकते हैं वह तो बस अपने एक्सपर्टाइज का उपयोग कर सकता है आपको कभी यह भूलना नहीं चाहिए कि अगर आप एक वक्त डिक्लेयर कर देते हैं तो उसका स्टेटस नहीं बदल सकते।
दाेनों सदनों में ये संख्या बल
- मौजूदा लोकसभा मे एनडीए की संख्या 293 जोकि 542 सदस्यों वाले निचले सदन से काफी अधिक है
- लोकसभा में इंडिया गठबंधन के सदस्यों की संख्या 234 है जबकि बहुमत के लिए 272 जरूरत है
- 236 सदस्यों वाली राज्य सभा मे भी एनडीए का संख्या बल 126 है जोकि बहुमत के लिए पर्याप्त है
- इनमें दो स्वतंत्र और 6 नामित सदस्य हैं जो आम तौर पर सरकार का समर्थन करते हैं।

Author: haryanadhakadnews
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