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क्या आपके टूथपेस्ट में लेड तो नहीं, 90% टूथपेस्ट सैंपल में मिला लेड, इससे बढ़ती है गंभीर बीमारियां

Led in Toothpaste
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक साल 2021 में दुनिया
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धाकड़ न्यूज: हम अपने दांतों को मजबूत और चमकदार बनाए रखने के लिए हर रोज टूथपेस्ट का इस्तेमाल करते है। इन टूथपेस्ट में कुछ ऐसे खतरनाक इंग्रीडिएंट्स हो सकते है जो हमारी सेहत के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं है। हाल ही में 51 टूथपेस्ट और टूथ पाउडर ब्रांड के सैंपल की जांच रिपोर्ट जारी की गई है।

बच्चों के टूथपेस्ट और ग्रीन यानी नेचुरल टूथपेस्ट में भी पाया गया है

रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित दुनियाभर में बिक रहे कई प्रमुख टूथपेस्ट ब्रांड में लेड, आर्सेनिक, मर्करी, और कैडमियम जैसे हैवी मेटल्स पाए गए है। इनमें 90 प्रतिशत टूथपेस्ट में लेड की मात्रा पाई गई थी। जबकि अधिकांश में एक से ज्यादा हैवी मेटल्स थे। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें बच्चों के टूथपेस्ट और ग्रीन यानी नेचुरल टूथपेस्ट भी शामिल थे। रिपोर्ट में बताया गया कि ये हैवी मेटल्स सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है। खासकर बच्चों के लिए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक साल 2021 में दुनिया में लेड पाॅइजनिंग की वजह से 15 लाख लोगों की मौत हुइ थी। वहीं यूनिसेफ की टॉक्सिक टूथ नामक एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का हर तीसरा बच्चा लेड पॉइजनिंग से पीड़ित है।

टूथपेस्ट में लेड
टूथपेस्ट करता हुआ बच्चा।

सबसे ज्यदा नुकसान बच्चों के ब्रेन को हाेता है

लेड एक टाॅक्सिक मेटल है जो सेहत के लए बहुत नुकसानदायक है। इसका इस्तेमाल पेंट, बैटरी, कॉस्मेटिक, खिलौने और कंस्ट्रक्शन मटेरियल में किया जाता है। लेड के संपर्क में आने से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों के ब्रेन को होता है। यह उनकी सीखने और ध्यान करने की क्षमता पर बुरा असर डालता है। लेड के संपर्क से बच्चों का IQ लेवल 4-5 पॉइंट्स तक घट सकता है।

इसके अलावा लेड हमारी हडि्डयों, दांतों, किडनी, लिवर, और हार्ट को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। सबसे खराब बात ये है कि लेड धीरे-धीरे शरीर में जमा होता रहता है और पता इसका तब चलता है जब शरीर किसी गंभीर बीमारी के चपेट में आ जाता है। यह ऐसा जहर है जिसकी थोड़ी सी भी मात्रा नुकसानदायक है।

लेड पॉइजनिंग के लक्षण

इसके लक्षण शरीर में धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कई बार तो शुरुआत में इसे पहचाना मुश्किल हो सकता है। थकान और कमजोरी, अक्सर सिर में तेज दर्द होना, पाचन संबंधी समस्याएं होना, भूख में कमी आना, चिड़चिड़ापन, हडि्डयों या जोड़ो में दर्द होना इस तरह के लक्षण लेड पॉइजनिंग के हो सकते है।

कैसे बचे

थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता से हम लेड पॉइजनिंग के खतरे से अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते है। इसके लिए बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए। खाना बनाने व पीने के लिए साफ और फिल्टर किया हुआ पानी ही प्रयोग में लेना चाहिए। हमेश लेड-फ्री सर्टिफाइड प्रोडक्ट्स ही चुनें। इसके अलावा कुछ और बातों का ध्यान रखें।

पेटिंग और साफ-सफाई के दौरान घर से दूर रहें। नियमित रूप से घर पर पोंछा लगाएं ताकि घूल न जम सके। घर में झाडू लगाते समय मास्क का प्रयोग करें। खिड़कियों-दरवाजों पर धूल न जमने दें। बच्चों को मिट्‌टी व पेंट की पपड़ी खाने से बचाएं। बच्चे को काई खिलौना व सामान मुंह में न डालने दें। समय-समय पर घर के पानी में लेड लेवल की जांच कराएं। लेड युक्त कॉस्मेटिक्स के इस्तेमाल से बचें।

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