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राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह के घर पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी

राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह के घर पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी
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धाकड़ न्यूज: मंगलवार को राजस्थान की राजनीति में अचानक भूचाल आ गया। कारण था प्रवर्तन निदेशालय का कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी का। जैसे ही इडी की छापेमारी शुरू हुई वैसे ही राजस्थान के  राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। इस कार्रवाई को देश के सबसे चर्चित चिटफंड घोटाले पीएसीएल घोटाले से जुड़ा माना जा रहा है, जिसमें  लगभग 28 लाख निवेशकों के 2850 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह के घर पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी

घोटाले के तार पंजाब, बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल समेत दर्जनों राज्यों से जुड़े

प्रताप सिंह खाचरियावास कांग्रेस के राजनेता हैं, जो राजस्थान सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के पूर्व कैबिनेट मंत्री थे। वे अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्रियों में से एक रहे हैं। इस चिटफंड घोटाले के तार पंजाब, बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल समेत दर्जनों राज्यों से जुड़े हुए हैं। इस चिटफंड घोटाले को देश का सबसे बड़ा चिटफंड घोटाला माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार ईडी को शक है कि करीब 30 करोड़ रुपए के इस घोटाले में खाचरियावास शामिल हो सकते हैं। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बताया जा रहा है कि इस घोटाले में देशभर के करीब 5.85 करोड़ निवेशकों ने पीएसीएल में करीब 49100 करोड़ रुपये निवेश किए थे।

मुझे  कोई डर नहीं

छापेमारी को लेकर प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि ईडी खुद जांच करने आई है। मुझे  कोई डर नहीं है। सरकार ने ईडी को भेजा है। प्रताप ने कहा कि मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया है। आप अचानक तलाशी लेने आ गए? यह कोई मामला नहीं है। भैरोंसिंह शेखावत को अपने छोटे भाई के घर की तलाशी करवाने में कोई शर्म नहीं है। जब ईडी ने मेरे नेता राहुल गांधी को तलब किया है, तो मैं तो एक छोटा सा कार्यकर्ता हूँ। हम तलाशी करवाएँगे।

 संपत्तियों का मूल्य लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले की जांच के लिए सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। कोर्ट के निर्देश पर गठित इस समिति का उद्देश्य पीएसीएल की संपत्तियों की नीलामी कर निवेशकों का पैसा लौटाना था। सेबी के अनुसार कंपनी की संपत्तियों की कीमत करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये है, जो निवेश राशि से चार गुना अधिक है।

कार्रवाई संभव

इस घोटाले का पहला मामला 2011 में जयपुर के चौमूं थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था। कंपनी के खिलाफ देश के कई राज्यों में चिटफंड एक्ट के तहत मामले चल रहे हैं, जिसमें राजस्थान मुख्य केंद्र रहा है।ईडी की इस कार्रवाई से साफ है कि अब पीएसीएल मामले में जांच तेजी से आगे बढ़ेगी और जिन प्रभावशाली लोगों की भूमिका संदेह के घेरे में है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई संभव है।

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