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प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता हुई बेहतर-शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा

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आरटीई के तहत सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को पहली कक्षा के अंदर 25 प्रतिशत सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करना है अनिवार्य, प्रदेश के करीब 30 प्रतिशत स्कूलों ने अभी तक नहीं की है प्रक्रिया पूरी, जिनके खिलाफ होगी कार्रवाई

पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों की वर्दी के पैसे उनके बैंक खातों में अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक तक डाल दिए जाएंगे, 21 अप्रैल तक मुफ्त किताबें भी दे दी जाएंगी

धाकड़ न्यूज़ : हरियाणा के शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि हरियाणा सरकार का उद्देश्य सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में और सुधार लाना व विद्यार्थियों को बेहतर सुविधा मुहैया करवाना है। इसमें काफी सफलता भी मिल रही है। सरकारी स्कूलों में 30 अप्रैल तक 2024 में जहां पांचवीं कक्षा में 2 लाख 7 हजार 685 बच्चों का दाखिला हुआ था, वहीं 15 अप्रैल तक 2 लाख 4 हजार 163 बच्चों का दाखिला हो चुका है। 30 अप्रैल तक पिछले वर्ष से ज्यादा दाखिले हो जाएंगे। इससे जाहिर है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हुई है और विद्यार्थिय़ों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार नियम (आरटीई) के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों की वर्दी के पैसे उनके बैंक खातों में अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक डाल दिए जाएंगे। इन्हीं बच्चों को 21 अप्रैल तक मुफ्त किताबें दे दी जाएंगी।

शिक्षा मंत्री श्महीपाल ढांडा आज सिविल सचिवालय में शिक्षा अधिकारियों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा ने कहा कि आरटीई के तहत हरियाणा में सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पहली कक्षा में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देना अनिवार्य है। अभी तक 70 प्रतिशत स्कूलों ने उज्जवल पोर्टल के माध्यम से बच्चों की सीटें तय की हैं। बाकि के 30 प्रतिशत स्कूलों ने सीटें जल्द तय नहीं की तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। अगर स्कूलों ने शिक्षा विभाग के नियमों की पालना नहीं की तो उनके खिलाफ मान्यता रद करने का भी कदम उठाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 के नियम  158 (6) के तहत प्रदेश के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल प्रबंधन विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को किसी एक दुकान से पाठ्य पुस्तकें, स्टेशनरी, स्कूल वर्दी खऱीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। इसी तरह से एक्ट 158 (7) के तहत मान्यता प्राप्त स्कूल पांच साल से पहले स्कूल की वर्दी नहीं बदल सकते। अभी तक शिक्षा विभाग के पोर्टल पर 40 और ई-मेल के माध्यम से 57 शिकायतें की हैं। इन शिकायतों की जांच की जा रही है।  अगर स्कूलों की गलती मिली तो कार्रवाई की जाएगी।

 

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