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दो साल में विमानों के GPS से 1951 बार छेड़छाड़, किसकी साजिश? संसद में आया हैरान करने वाला आंकड़ा

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भारत में केवल दो साल में विमानों के जीपीएस के साथ 1951 बार छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आई हैं। ये आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं। इस बात की जानकारी केंद्र ने संसद में एक सवाल के जवाब में दी।

दरअसल, GPS विमान को उसकी लोकेशन, दिशा और ऊंचाई बताने का काम करता है। इस सिस्टम के साथ छोड़छाड़ का मतलब किसी बड़ी अनहोनी को दावत देना हो सकता है। बता दें कि विमानों की उड़ानों में जीपीएस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जीपीएस डेटा से छेड़छाड़ के गंभीर हो सकते हैं परिणाम

गौरतलब है कि जीपीएस के डेटा के साथ छेड़छाड़ में गड़बड़ी के कारण विमान की दिशा भटक सकती है। ऐसे में किसी बड़ी घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाल के दिनों में ही दिल्ली, कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई एयरपोर्ट पर भी जीपीएस स्पूफिंग और छेड़छाड़ की घटनाएं देखने को मिली थीं, जिसने विमान यात्रियों की चिंता बढ़ा दी थी।

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच वायरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन कर रहा है। जानकारी के अनुसार, 10 नवंबर को डीजीसीए ने दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास जीपीएस स्पूफिंग/जीएनएसस से छेड़छाड़ की रियल टाइम रिपोर्टिंग के लिए एक एसओपी जारी की थी।

दूसरी बार सरकार ने माना कि जीपीएस डेटा के साथ हुई छेड़छाड़

उल्लेखनीय है कि केवल 12 दिनों में ही ये दूसरा मौका है, जब केंद्र ने GPS स्पूफिंग की घटनाओं को स्वीकार किया है। बता दें कि इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सोमवार को राज्यसभा में बताया था कि दिल्ली के आईजीआई के AMSS में सात नवंबर को छेडछाड़ की गई थी।

बता दें कि सात नवंबर को दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर ऑपरेशन 12 घंटे से अधिक समय तक प्रभावित रहा। यहां पर 800 से अधिक उड़ानें देरी से उड़ीं और 20 को रद कर करना पड़ा।

केंद्रीय मंत्री नायडू ने बताया था कि वैश्विक स्तर पर रैनसमवेयर-मैलवेयर अटैक का खतरा बढ़ रहा है। एएआई अपने क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर की सेफ्टी के लिए एडवांस साइबर सिक्योरिटी अपना रहा है।

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